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कहानी

बुढ़ापा में माई

डॉ. आशारानी लाल


      गोड़लागतानी-ईया!

     ए ईया आज हम बड़ा खुश बनी। मने मने खुशी के लावा फूटता। अब हम जल्‍दी अपन खुशी तोहरे  के बतावल चाहतानी।

हम आज टी.वी. देखत रहनी हँ। ओह में अइसन भइलह कि भक् से तूँ ही उहाँ लउक गइलू ह। जानतारु अन्‍ना अपना ख्‍वाहिस के आंदोलन के बवंडर जवन गाँधी बाबा बन के दिल्‍ली में चलवलन हँ, ऊ जब पूरा भ गइलह आ उनकर भूख-पियास के अनशन टूट गइलह त सब लोग ओसही खुश भीइलह, जइसे सन् सैंतालिस में देस के आजादी मिलला पर भइल रहे। पूरा देश अन्‍ना के साथे-साथे एह आंदोलन में शामिल रहल। केहू लाठी-डन्‍डा ना उठवलस। कहीं हूल-हपाड़ना भइल, न त खूने बहल। अनापो-सनाप केहू ना बोलल आ पूरा देस में उनका विजय के तिरंगा झंडा लहराए लागल।

जानतारु ईया अन्‍ना त भूखले-पियासले एक्‍के जगहिया में बइठल रह गइलन जइसे एह देस के कवनो साधू-महात्‍मा बन गइल होखँस, एही से पूरा देस उनका साथे हो गइल रहे। अन्‍ना भूखला से बहुते कमजोर भ गइल रहन, ओहिसे अनसन के बाद तीन-चार दिन-ले अपना डाक्‍टरन के अस्‍पताल में पड़ल रहलन। जब तनी अन्‍न-दाना खाए-पीए। लगलन त अपना गाँवे के इयाद आइल। महाराष्‍ट्र में उनकर गाँव घर रहे जहाँ हर साल गनेश-बाबा हर घर में आके बइठेलन। सब लोग एह भगवान के धूम-धाम से पूजेला-इहे बात रहे कि उनकरो मन पूजा में आवे के कइलस आ आज ऊ अपना गाँव सिन्द्धि में टी.बी. पर लउकत रहन।

गाँव के लोग अपना अन्‍ना के देखे खातिर बहुते दिन से टकटकी लगवले रहल। सब लोग मिलजुल के इ तयकइल लोग कि गाँव के बहरा एगो बटोर होई, उहें अन्‍ना आके सब लोग के एकेसाथे दर्शन दिहन। इहे भइल। रालेगण-सिद्धि गाँव में सबकर जुटान भइल रहल। कई गो गाँव के लोग उहाँ जुटल रहे। एगो ऊँच मचान बनल रहे। ओह मचान पर अन्‍ना के खूब बड़हन फोटो लगावल गइल रहे। इ कुल देख सुन के सब टी.बी. वाला लोग आ सरकारो के लोग ओइजा पहुँच गइल रहे।

एही जलसा में अन्‍ना अइलन आ अपना हाथे में तिरंगा-झंडा लेके खूब लहखलन, ओकरा बाद ओही मचान पर घइल गाँधी-बाबा आ अपना माई के फोटो के परनाम करे चाहे मोड़ लागे आ फूल-माला पहिरावे ऊ चार डेग चल के ओइजा पहुँचलन।

ए-ईया उनका माई के रूप एकदम तोहरे नियर लउकत रहे। माई के गोड़ धरते अन्‍ना के आँखी से लोर बहे लागल। ई लोर ओह बेटा के आँखी से निकसल जे खुदे अब पुरनिया हो गइल रहन। जानतारु ईया अन्‍ना अपना माईकेदूसर सरूप बान, हम ओह फोटो के देखते ई बात कहनी। हमरा त बुझाइल कि, ईया हो-तूहीं उहाँ जाके बइठ गइल बाड़ू। हम त ताकते रह गइलीं कि तू ओइजा जा के अब अन्‍ना के माई कइसे बन गइल बाड़ू।

अन्‍ना बहुते बड़ काम बिना मार-काट के कर देखलवलन जइसे गाँधी बाबा। जानतारु अन्‍ना का कइलन हँ। ऊ एह देस के भ्रष्‍टाचार से छुटकारा दियावे के उपाय खोज ले ले बान। एह देस में जनलोकपाल नाँव के एगो अइसन लँगूर क झुन्‍ड ऊ बोलावतान जेके हर जगहिए ले जाके एगो ऊँच जगहा में ऊ बइठा दिहन। इ काम देस के कोना कोना में पहुँचा दिहल जाई। ओह ऊँचाई पर बइठ के ऊ जन लोकपाल नाँव के लंगूर चारों ओरी ताकते रही। जहँवा कहिं घूस चोरी, डकइती आ बेइमानी के बाजार लउकी-त-ऊ ओपर झपट्टा मार के ओके दबोच ली। सब काला-बाजारी अब देस से बिला जाई आ फेरु एक देस में रामराज कायम हो जाई। अधर्म के नाश हो जाई आ धरम के जै-जैकार हो उठी।

ईया हो अब हमरा बुझाता कि तोहार राज आ जाई, एही से आज हम बड़ा खुश बानी।

फेरु दूसरा चिट्ठी में अवरी लिखब आ बताइब।

तोहार

-पोती


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